समस्त भोतिक जगत, तारा मंडल, ग्रह आदि सभी एक मत से समय का मान करते है

समस्त भोतिक जगत, तारा मंडल, ग्रह आदि सभी एक मत से समय का मान करते है

समय एक अवतरित धारा जो आदि काल से अनंत काल की और बड़ रही है प्रकृति व् जीवन दोनों ही इसके अधीन है

समय एक अवतरित धारा जो आदि काल से अनंत काल की और बड़ रही है प्रकृति व् जीवन दोनों ही इसके अधीन है

सत रज व् तम समय की गति में ही वास करते है चारो युग समय की परिधि में ही तीर्थाटन करते है ऋषि मुनि सम

सत रज व् तम समय की गति में ही वास करते है चारो युग समय की परिधि में ही तीर्थाटन करते है ऋषि मुनि समय के सुर से ही अपने सुर के गति पाते है

समय की कोई सिमित परिभाषा नहीं तदपि यह जीव व् संसार को अपनी गति से परिभाषित करता है

समय की कोई सिमित परिभाषा नहीं तदपि यह जीव व् संसार को अपनी गति से परिभाषित करता है

समय के गर्भ में आत्मा, परमात्मा व् माया के अद्रितिये रहस्य समाये है पर यह अपनी गति के मान करने वालो

समय के गर्भ में आत्मा, परमात्मा व् माया के अद्रितिये रहस्य समाये है पर यह अपनी गति के मान करने वालो को ही उनके सूत्रों से संबोदित करता है

Wednesday, April 25, 2007

time













शिव का अर्थ है कल्याणकारी 

मन को शिवमय बनाने से वह स्वयं आत्मा हेतु कल्याणकारी हो जाता है 

मन कभी मरता नहीं पर इसके कारण से शरीर बार बार मरता है 

और शरीर में आत्मा बार बार जन्म लेती है 

पर जब मन शिव संकल्पमय  हो जाता है तो आत्मा शरीर के बंधन से मुक्त हो जाती है 

आहार विहार मन को प्रभावित करते है 

इच्छा, संकल्प, चिंतन व् कृया आत्मा का क्रिया क्षेत्र है 

ब्रह्म इच्छा ब्रह्म संकल्प व् ब्रह्म चिंतन से जीवात्मा उस चेतना को प्राप्त होती है जो जिव को ब्रह्म को और ले जाता है पर शिव संकल्प जीव को जीव मुक्त सत्य की और ले जाता है जहा मोक्ष जीवात्मा को समर्पित होता है 









मन के साधे सब सधे 
बिन मन सधे न कोई 
तन को जल से धोइये 
मन हेतु बस सत्य 
मन उजला उजला भीतर बाहर 
मन मलीन खोये धरोवर सत्य बारंबार  


मलिन मन व् अशिव संकल्पो में अशांति निहित रहती है 

मलिन मन वह अन्धकार है जो मानव को भटका कर माया के पाश में ले जाता है 

समस्त भोतिक जगत, तारा मंडल, ग्रह आदि सभी  एक मत से समय का मान करते है


मानव जीवन में मन का अहम् स्थान है 
मन आत्मा का स्वरुप होता है 
मन आत्मा का दर्पण होता है 
मन ही मनुष्य का मूल सूत्र है 
मन ही बंधन व् मोक्ष का कारन बनता है 
मन से ही साधन का सत्य होता है 
मन से ही काया कल्प वे देह शुद्धि का सूत्र होता है 
मन का निर्मल होना मानव जीवन में एक बड़ी उपलब्धि है 
निर्मल मन ही भक्ति हेतु परम साधन है 
निर्मल मन ही सिद्धि का सुखद  सूत्र है 
निर्मल मन जीवन पथ पर दिव्य प्रकाश का कार्य करता है 



समय एक अवतरित धारा जो आदि काल से अनंत काल की और बड़ रही है प्रकृति व् जीवन दोनों ही इसके अधीन है
सत रज व् तम  समय की गति में ही वास करते है चारो युग समय की परिधि में ही तीर्थाटन करते है ऋषि मुनि सब 

समय की कोई सिमित परिभाषा नहीं तदपि यह जीव व् संसार को अपनी गति से परिभाषित करता है

समय के गर्भ में आत्मा, परमात्मा व् माया  के अद्रितिये रहस्य समाये है पर यह अपनी गति के मान करने वालो को ही उनके सूत्रों से संबोदित करता है 




समय की प्रति चेतना जीव को शिव की और ले जाता है 

समय का सत्य जानने से स्वयं ही जीव शिव के सामीप्य में आ जाता है 















 मन मस्तिष्क व् बुद्धि ये तीन भाव सदैव आत्म युक्त होते है 

ह्रदय के मूल सूत्र में कही इनके चेतना निहित रहती है 

आत्मा ह्रदय में सदैव लींन  रहती है और वही अपने शिव की इच्छा सजग रखती है 


Respect for the truth of time and path is the realization in truth with self,


Once reach at the time, to reach Shiva is as easy as anything,


Reach Shiva, time follows itself in auto-made is the truth of time,

In the garb of time lies, the truth of the soul, and the Shiva and truth of Sankalp connect them in truth with eternity,




Time is uninterrupted celestial stream which intercept the life at its own pace for ride unto journey along with but,
Value of time never change but the value of life 
Time moves ahead and script the history for reference 
 Time never take the u turn
It is a pace of life; pace for life to cover all, all the way.















 


Time never waits for anyone, whosoever it may be
Better to understand the value of time before placing it on the events of life
It treats everyone at par on the merit of life with respect to faith and deeds, 
The greatness of time reflects unto acts of life that count on the glory of fate.




Time respect those who respect it and utilize it even a bit of it with all care for the cause.

Time is great on the board of life-even life is defined as the span of time in one of its aspect,

Better be late than never, let us respect the gauge of life-widget of life-it is nothing but  Time.

 Let us respect the time in true spirit,

Time care for those who care themselves truly.

Let us utilize the time at its best, best for the cause, cause to enlighten the pace of life for welfare of one and all.  

  





Time is the best ointment for wounds of life.
Time heals even the greatest wound of life.
Time itself is a great preceptor.
Time speaks without words and walks without noise.
Time treats all at par.
Time never waits.
Time keeps supreme sole as per the Vedic notes.
No one can escape from the orbit of time.
Time keeps watching all.